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स्कूल -कॉलेज के सुनहरे दिन

स्कूल कॉलेज के सुनहरे दिन 

कहानी (भाग-6) 

ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर ( त्रिदेवों की उत्पत्ति )  

अध्यापिका कक्षा में आ चुकी थीं। कक्षा में 93 बच्चे बैठे थे परन्तु इतना सन्नाटा पसरा हुआ था कि सुई भी गिरे तो आवाज सुनाई दे l इंग्लिश में पिन ड्राप साइलेंस l 

अध्यापिका बच्चों को और बच्चे अध्यापिका को अपलक देख रहे थे। 

शिक्षिका ने सन्नाटा तोड़ा। 
जब ब्रम्हांड में निराकार परमात्मा शिव और सूर्य की ऊर्जा से शक्ति का निर्माण हुआ तो पंच तत्वों के सहयोग से साकार की रचना हुई l 
कहते हैं सर्वप्रथम ब्रम्हा विष्णु और महेश यानि शंकर की उत्पत्ति हुई l ब्रम्हा को सृष्टि के सृजन निर्माण का कार्य सौंपा गया और विष्णु को उस संसार के पालन का l ब्रम्हा ने बहुत ही सुन्दर सृष्टि बनाई। जिसमें पेड़, पर्वत, नदियां, पशु पक्षी, कीड़े मकौड़े सभी की रचना पांचों तत्वों अग्नि, जल, पृथ्वी, आकाश और वायु द्वारा  हुई l जिसमें कलाकारी के लिए प्रकृति के ही रंगों का प्रयोग किया गया l 
एक बच्चे ने पूछा - मानव की रचना कैसे हुई??  
हाँ उसी पर पहुंच रही हूँ पर पहले यह बताना आवश्यक है कि शंकर का कार्य क्या था??  
ब्रम्हा निर्माण कर रहे थे नित नये निर्माण करने में उन्हें बहुत मजा आ रहा था। तरह-तरह के सुन्दर जीव बना रहे थे। ब्रम्हा रचना करते और विष्णु उनके पालन पोषण का, भोजन का इंतजाम करते l दोनों की बुद्धि और सामंजस्य गज़ब का था। वे निराकार ईश्वर परब्रह्म परमात्मा की संतान जो थे। पर निराकार की संतान होने से वे अजर अमर और अविनाशी थे । 
जब पृथ्वी पर जीव रोज नए पैदा हो रहे थे, पोषण उत्तम होने से तंदुरुस्त और सक्रिय थे । तो ऐसे में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति पैदा हो गई l जीव जन्म तो ले रहे थे पर मृत्यु ना होने से बढ़ते जा रहे थे। 
उधर शंकर ब्रम्हांड की शिव शक्ति की सबसे सुंदर रचना थी। कपूर के समान गोरा रंग, बुद्धि में विलक्षण, झील सी नीली बड़ी-बड़ी आंखें, शांत सौम्य मुख, उनको देख कर एक बारगी तो परमात्मा शिव भी स्तब्ध रह गए l 
उन्हें कहा गया सभी जीवों में जान डालने, बुद्धि को चलाने का काम आपको करना है । 
लेकिन जब जनसंख्या विस्फोट की स्थिति बनने लगी तो शंकर बोले कोई ऐसा नियम बनाना पड़ेगा जिससे एक निश्चित समयावधि तक जीवन होl तब परमात्मा शिव ने शंकर को संसार के संहार का काम सौंपा l 
शंकर बहुत कोमल ह्रदय के, भोले और निर्विकारी थे। 
वे सृष्टि को खत्म करने में दुखी हो रहे थे। तब कृष्ण ने कर्म का सिद्धांत बनाया जिसके आधार पर हर जीव जैसे कर्म करेगा वैसा ही जीवन मिलेगा। सुख दुख धन साधन मिलेंगे। और वही मृत्यु भी तय करेगा कि किसको कितना जीना है । 
यहाँ भी एक नियम बना जिसके हिसाब से जीव मृत्यु के बाद दुबारा दुबारा जन्म लेगा। कर्मों का खाता चलता रहेगा। 
लेकिन मनुष्य कैसे बने???  छात्र ने पूछा 
क्या सिर्फ पुरूष संतान उत्पन्न कर सकता है???  अध्यापिका ने प्रश्न के बदले प्रश्न किया। 
"नहीं मैम " 
तो यहां तो तीन पुरूष ही थे।  
जिनसे संतान के लिए स्त्री की रचना आवश्यक थी। 
फिर क्या हुआ??  कैसे हुई स्त्री की रचना??  किसने की??  कई सारे प्रश्न हवा में उछाल दिए छात्रों ने 
अध्यापिका इसका उत्तर देती तब तक बेल बज गई और अध्यापिका कंधे उचकाती हुई मुस्कुराई और बोली - आगे कल...... 😊

अपर्णा "गौरी" 

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2 Comments

Abhinav ji

11-Feb-2023 08:05 AM

Aise teacher ki har school ko jarurat hai. Taki bachcho ko sahi margdarshan mile .. very nice 👌

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बहुत ही सुंदर और बेहतरीन जानकारी युक्त लेख

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